
August 2025 Hindu Festivals
📅 अगस्त 2025 में आने वाले हिंदू त्योहारों की सूची
अगस्त का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ और धार्मिक होता है। इस महीने में कई व्रत, त्योहार और पर्व आते हैं जो श्रद्धा और आस्था का प्रतीक हैं। नीचे दी गई तालिका में आप सभी प्रमुख त्योहारों की तारीख, दिन और नाम देख सकते हैं:
दिनांक (Date) | दिन (Day) | त्योहार (Festival) |
---|---|---|
1 अगस्त 2025 | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (शुक्रवार) |
2 अगस्त 2025 | शनिवार | मासिक शिवरात्रि |
3 अगस्त 2025 | रविवार | श्रावण अमावस्या |
5 अगस्त 2025 | मंगलवार | हरियाली तीज |
7 अगस्त 2025 | गुरुवार | नाग पंचमी |
9 अगस्त 2025 | शनिवार | वरलक्ष्मी व्रत |
11 अगस्त 2025 | सोमवार | श्रावण सोमवारी व्रत |
12 अगस्त 2025 | मंगलवार | सावन दूज / स्कंद षष्ठी |
13 अगस्त 2025 | बुधवार | रंधन छठ |
14 अगस्त 2025 | गुरुवार | श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (स्मार्त) |
15 अगस्त 2025 | शुक्रवार | श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (वैष्णव) |
16 अगस्त 2025 | शनिवार | कृष्णा अष्टमी समाप्ति |
17 अगस्त 2025 | रविवार | कालाष्टमी |
18 अगस्त 2025 | सोमवार | अजा एकादशी |
20 अगस्त 2025 | बुधवार | प्रदोष व्रत (बुधवार) |
21 अगस्त 2025 | गुरुवार | रक्षाबंधन / श्रावण पूर्णिमा |
22 अगस्त 2025 | शुक्रवार | सत्यनारायण व्रत |
23 अगस्त 2025 | शनिवार | सिंह संक्रांति |
26 अगस्त 2025 | मंगलवार | हरीतालिका तीज |
27 अगस्त 2025 | बुधवार | गणेश चतुर्थी |
29 अगस्त 2025 | शुक्रवार | ऋषि पंचमी |
30 अगस्त 2025 | शनिवार | षष्ठी / स्कंद षष्ठी |
31 अगस्त 2025 | रविवार | दुर्गा अष्टमी / जया पार्वती व्रत समाप्ति |
🔍 प्रमुख त्योहारों का संक्षिप्त विवरण
1 अगस्त 2025 – प्रदोष व्रत (शुक्रवार)
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो हर महीने दो बार आती है – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। इस दिन शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, और दूध अर्पित करके व्रत रखा जाता है। व्रतधारी संध्या समय पूजा करता है और भगवान शिव से स्वास्थ्य, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति की कामना करता है। शुक्र प्रदोष व्रत विशेष रूप से सौंदर्य, वैवाहिक सुख और आर्थिक समृद्धि के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2 अगस्त 2025 – मासिक शिवरात्रि
मासिक शिवरात्रि हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। रात्रि में जागरण और शिव जी की चार प्रहर की पूजा होती है। दूध, दही, बेलपत्र, जल, धतूरा और शहद से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। शिवभक्त मानते हैं कि इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मासिक शिवरात्रि उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है जो संतान सुख, विवाह, और रोगों से मुक्ति की कामना रखते हैं।
3 अगस्त 2025 – श्रावण अमावस्या
श्रावण अमावस्या पितरों की शांति और तर्पण के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं और अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान व श्राद्ध करते हैं। यह अमावस्या विशेष रूप से श्रावण माह में आती है, जो भगवान शिव का प्रिय महीना है। घरों में दीप जलाए जाते हैं, और गरीबों को भोजन व दान दिया जाता है। दक्षिण भारत में यह दिन “अवनी अमावस्या” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन किए गए तर्पण से पितरों को शांति मिलती है और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है।
5 अगस्त 2025 – हरियाली तीज
हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे श्रावण शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान और मध्यप्रदेश में लोकप्रिय है। महिलाएं हरे वस्त्र पहनकर झूला झूलती हैं, मेहंदी लगाती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। यह व्रत विवाहित जीवन की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। गीत-संगीत, झूले, और पारंपरिक पकवानों के साथ यह त्योहार हरियाली और प्रेम का प्रतीक है। कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने की कामना से यह व्रत करती हैं।
7 अगस्त 2025 – नाग पंचमी
नाग पंचमी श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा की जाती है। महिलाएं दीवारों पर नाग का चित्र बनाकर दूध, अक्षत, दूर्वा और फूल चढ़ाती हैं। यह मान्यता है कि इस दिन नाग पूजा करने से सर्पदोष समाप्त होता है और परिवार में समृद्धि आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जीवित नागों को दूध पिलाने की परंपरा भी है। नागों को शिव जी के गले का आभूषण माना जाता है, इसलिए इस दिन शिव पूजा का भी विशेष महत्व होता है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।
9 अगस्त 2025 – वरलक्ष्मी व्रत
वरलक्ष्मी व्रत दक्षिण भारत में विशेष रूप से आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में मनाया जाता है। यह व्रत शुक्रवार को आता है और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए महिलाएं इसे करती हैं। विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए यह उपवास रखती हैं। घर को साफ करके रंगोली बनाई जाती है और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या कलश की पूजा की जाती है। यह व्रत जीवन में ऐश्वर्य, धन और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इसे करने से अष्टलक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
11 अगस्त 2025 – श्रावण सोमवारी व्रत
श्रावण मास में आने वाले सोमवारों को भगवान शिव को समर्पित श्रावण सोमवारी व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं और विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति और विवाहित स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं। भक्तजन दिनभर उपवास रखते हैं और रात्रि में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। जल, दूध, शहद और बेलपत्र से पूजा कर “ॐ नमः शिवाय” का जाप किया जाता है। श्रावण मास की सोमवारी का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यंत उच्च होता है।
12 अगस्त 2025 – सावन दूज / स्कंद षष्ठी
सावन दूज भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा का दिन होता है। कई स्थानों पर इस दिन भाई-बहन के रिश्ते को लेकर पूजा की जाती है। वहीं स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की पूजा का विशेष पर्व है। दक्षिण भारत में इसे प्रमुखता से मनाया जाता है। माता-पिता अपने पुत्रों की लंबी उम्र के लिए व्रत करते हैं और भगवान कार्तिकेय को गुड़, नारियल और फल चढ़ाते हैं। संतान सुख, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए इस दिन पूजा करना विशेष लाभकारी माना गया है।
13 अगस्त 2025 – रंधन छठ
रंधन छठ मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस दिन गृहिणियां अगले दिन आने वाली शीतला सप्तमी के लिए भोजन बनाकर रखती हैं। मान्यता है कि अगले दिन शीतला माता को बासी भोजन चढ़ाया जाता है, इसलिए रंधन छठ के दिन विशेष पकवान जैसे पूड़ी, खीर, सेव, पकौड़ी आदि बनाए जाते हैं। यह त्यौहार रसोई की शुद्धता और महिलाओं की पारंपरिक रसोई संस्कृति को सम्मान देने वाला पर्व है। यह त्योहार स्वास्थ्य और रोगों से बचाव के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है।
14-15 अगस्त 2025 – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (स्मार्त/वैष्णव)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है, जो भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। यह त्योहार स्मार्त और वैष्णव परंपराओं में अलग-अलग दिन मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है, मंदिरों में रासलीला, झांकियां और कृष्ण लीलाओं का आयोजन होता है। रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा की जाती है। माखन, मिश्री, तुलसी और पंचामृत से श्रीकृष्ण का अभिषेक किया जाता है। जन्माष्टमी का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
16 अगस्त 2025 – कृष्ण अष्टमी समाप्ति
कृष्ण अष्टमी के अगले दिन को कृष्णाष्टमी समाप्ति के रूप में जाना जाता है। यह दिन भी उपवास और पूजन के लिए उपयुक्त होता है, खासकर उन भक्तों के लिए जो रात में पूजा नहीं कर सके। इस दिन भी भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की पूजा की जाती है। कई मंदिरों में विशेष भजन-कीर्तन, आरती और दही-हांडी प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। यह दिन भक्तों को पुनः भगवान के गुणगान करने और उनके आशीर्वाद से जीवन को सफल बनाने का अवसर प्रदान करता है।
17 अगस्त 2025 – कालाष्टमी
कालाष्टमी भगवान भैरव की पूजा का दिन है, जो हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। विशेष रूप से यह दिन काल भैरव, जो भगवान शिव का उग्र रूप हैं, को समर्पित होता है। भक्तजन इस दिन उपवास रखते हैं, भैरव मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और कुत्तों को भोजन कराते हैं क्योंकि कुत्ता भैरव जी का वाहन माना जाता है। यह व्रत भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है। कालाष्टमी पर भैरव चालीसा, स्तोत्र और नाम जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
18 अगस्त 2025 – अजा एकादशी
अजा एकादशी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन उपवास रखने से पूर्व जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तजन दिनभर निर्जल उपवास रखते हैं और रात में जागरण कर भगवान विष्णु के मंत्रों और भजनों का जाप करते हैं। इस व्रत का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर और श्रीकृष्ण के संवाद में भी मिलता है।
20 अगस्त 2025 – प्रदोष व्रत (बुधवार)
यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और हर त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जब यह व्रत बुधवार को आता है तो इसे “बुध प्रदोष” कहते हैं। यह दिन आध्यात्मिक शांति, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखता है और संध्या के समय शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाकर पूजा करता है। यह व्रत शिव जी को प्रसन्न करने और परिवार की समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। गृहस्थ लोगों के लिए यह व्रत विशेष लाभकारी होता है।
21 अगस्त 2025 – रक्षाबंधन / श्रावण पूर्णिमा
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा का पावन त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। यह पर्व श्रावण पूर्णिमा को आता है, जो हिंदू पंचांग में विशेष तिथि मानी जाती है। इस दिन बहनें तिलक करके मिठाई खिलाती हैं और भाई उपहार देते हैं। रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का नहीं, बल्कि रिश्तों की मजबूती का प्रतीक बन चुका है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा की भी पूजा का विधान होता है।
22 अगस्त 2025 – सत्यनारायण व्रत
सत्यनारायण व्रत भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप को समर्पित एक लोकप्रिय पूजा है। यह व्रत पूर्णिमा और खास अवसरों पर किया जाता है। भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं और शाम को सत्यनारायण कथा का पाठ करते हैं। पूजा में फल, पंचामृत, तुलसी दल और मिठाई का प्रयोग होता है। यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि, पारिवारिक शांति और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसे घर में सामूहिक रूप से भी किया जाता है, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। विशेष रूप से नई शुरुआत के लिए यह व्रत शुभ माना जाता है।
23 अगस्त 2025 – सिंह संक्रांति
सिंह संक्रांति वह दिन होता है जब सूर्यदेव कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे दक्षिण भारत में विशेष महत्व प्राप्त है। इस दिन स्नान, दान और सूर्य पूजा का महत्व है। भक्तजन तांबे के पात्र में जल, गुड़, तिल और लाल वस्त्र चढ़ाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह दिन स्वास्थ्य, सम्मान, और आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला माना गया है। सिंह संक्रांति पर भगवान विष्णु, सूर्य और शिव जी की पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं।
26 अगस्त 2025 – हरीतालिका तीज
हरीतालिका तीज सुहागिन महिलाओं का पावन व्रत है, जिसे भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। यह व्रत माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किए गए तप की स्मृति में रखा जाता है। महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और रात्रि में जागरण करती हैं। पूजा में बालू या मिट्टी से भगवान शिव, पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन किया जाता है। यह व्रत विवाहित स्त्रियों के सौभाग्य और अविवाहित कन्याओं के अच्छे वर प्राप्ति के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।
27 अगस्त 2025 – गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को आता है। इस दिन भक्तजन घरों में गणपति की मूर्ति स्थापित करके दस दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं। श्रीगणेश को मोदक, दूर्वा, लाल फूल अर्पित किए जाते हैं। गणेश चतुर्थी विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। घरों, पंडालों में आरती, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व बुद्धि, समृद्धि, और विघ्नों के नाश के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
29 अगस्त 2025 – ऋषि पंचमी
ऋषि पंचमी भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है जो अनजाने में जीवन में हुई धार्मिक भूलों से मुक्ति चाहती हैं। इस दिन सप्त ऋषियों – कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ – की पूजा की जाती है। व्रती स्नान कर पवित्रता से पूजन करती हैं और ब्राह्मणों को अन्न-वस्त्र दान देती हैं। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुद्धता, संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। इसे पापमोचन व्रत भी कहा जाता है।
30 अगस्त 2025 – षष्ठी / स्कंद षष्ठी
षष्ठी तिथि भगवान कार्तिकेय को समर्पित होती है, जिन्हें दक्षिण भारत में “मुरुगन” के नाम से पूजा जाता है। स्कंद षष्ठी पर विशेष रूप से संतान सुख, बुद्धि और सफलता की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। यह दिन देवी पार्वती और शिवजी के पुत्र कार्तिकेय के शौर्य और शक्ति को समर्पित है। पूजा में दूध, गुड़ और फल अर्पित किए जाते हैं। भक्तजन उपवास रखते हैं और मंदिरों में विशेष अभिषेक, भजन और प्रार्थना करते हैं। यह दिन युवा और छात्रों के लिए विशेष रूप से शुभ होता है।
31 अगस्त 2025 – दुर्गा अष्टमी / जया पार्वती व्रत समाप्ति
दुर्गा अष्टमी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है। यह दिन मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की आराधना के लिए प्रसिद्ध है। विशेष रूप से महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं, कन्या पूजन करती हैं और मां दुर्गा से परिवार की रक्षा और समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं जया पार्वती व्रत का समापन भी इसी दिन होता है, जो पांच दिन का व्रत होता है। यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। यह दिन स्त्री शक्ति और साधना का प्रतीक है।