श्री कृष्ण जयंती 2026 तिथि और महत्व
श्री कृष्ण जयंती, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी भी कहा जाता है, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जो हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजे जाते हैं। 2026 में यह पवित्र उत्सव 4 सितंबर को मनाया जाएगा।
हालांकि यह तिथि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाई जाती है, लेकिन हर क्षेत्र में इसे अलग-अलग कैलेंडर और अनुष्ठानों के हिसाब से मनाया जाता है। श्री कृष्ण जयंती के दिन भगवान कृष्ण की जन्म कथा, उनकी लीला और भव्य पूजा का आयोजन होता है।
श्री कृष्ण जयंती क्यों मनाई जाती है?
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था, जब वे कारागार में बंद थे। कृष्ण का जन्म रात्रि के अंधेरे में हुआ था, इसलिए इस दिन विशेष रूप से रात्रि में पूजा का आयोजन किया जाता है। यह दिन भक्तों के लिए भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने और उनके उपदेशों का पालन करने का अवसर होता है।
श्री कृष्ण जयंती 2026 तिथि भारत के विभिन्न हिस्सों में: क्षेत्रीय भिन्नताएँ
भारत के विभिन्न हिस्सों में श्री कृष्ण जयंती मनाने की तिथि और तरीका थोड़ा अलग होता है:
- उत्तर भारत: श्री कृष्ण जयंती 4 सितंबर 2026 को मनाई जाएगी। मथुरा, वृंदावन और द्वारकाधीश मंदिर जैसे प्रमुख स्थानों पर विशेष मध्यरात्रि पूजा आयोजित की जाएगी।
- महाराष्ट्र और गोवा: यहां 5 सितंबर 2026 को दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जिसमें युवा मानव पिरामिड बनाते हैं और ऊंचे स्थानों पर लटके हुए मटके को तोड़ते हैं, जो कृष्ण की बाललीलाओं को दर्शाता है।
- कर्नाटका और आंध्र प्रदेश: श्री कृष्ण जयंती 4 सितंबर 2026 को मनाई जाएगी, जिसमें उडुपी श्री कृष्ण मंदिर में विशेष विटल पिंडी उत्सव का आयोजन किया जाता है। रात को विशेष पूजा और भव्य आयोजन होते हैं।
- केरल और तमिलनाडु: यह दिन अष्टमी रोहिणी के रूप में 4 सितंबर को मनाया जाता है, जहां महिलाएं विशेष पूजा करती हैं और कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाती हैं।
- दक्षिण भारत: उडुपी में कृष्ण जयंती को विटल पिंडी उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें विशेष पूजा, प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
श्री कृष्ण जयंती 2026 में क्या अनुष्ठान किए जाते हैं?
उपवस और भक्ति:
श्री कृष्ण जयंती पर उपवस (व्रत) एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। भक्त दिनभर उपवासी रहते हैं और मध्यरात्रि की पूजा के बाद अपना व्रत खोलते हैं। उपवस से शरीर और मन की शुद्धि होती है और यह आत्मिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति का एक मार्ग माना जाता है।
- भक्त पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं, भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, और भजन-कीर्तन करते हैं।
- कई जगहों पर भगवान कृष्ण की मूर्ति को पालने में रखा जाता है और उसे झुलाया जाता है, जिससे कृष्ण के जन्म का प्रतीकात्मक रूप से उत्सव मनाया जाता है।
- भक्त अपने घरों के द्वारों पर छोटे-छोटे पदचिह्न (पैरों के निशान) बनाते हैं, जो कृष्ण के घर में प्रवेश करने का प्रतीक होते हैं।
मध्यरात्रि पूजा:
श्री कृष्ण का जन्म रात्रि को हुआ था, इसलिए मध्यरात्रि में पूजा का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। मथुरा और वृंदावन में मंदिरों को सुंदरता से सजाया जाता है और भक्त विशेष पूजा करते हैं।
प्रसाद अर्पण:
भक्त भगवान कृष्ण को मक्खन, दूध और मिष्ठान अर्पित करते हैं। भगवान को प्रिय बटर (मक्खन) का भी प्रसाद अर्पित किया जाता है।
भारत में प्रमुख मंदिरों में श्री कृष्ण जयंती के अनुष्ठान
मथुरा और वृंदावन:
मथुरा, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, और वृंदावन, जहां कृष्ण ने अपना बचपन बिताया, इन जगहों पर कृष्ण जयंती बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। बैंक बिहारी मंदिर, राधा रामन मंदिर, और कृष्ण जन्मभूमि जैसे प्रमुख मंदिरों में विशेष पूजा, भजन, कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
उडुपी श्री कृष्ण मंदिर:
उडुपी में भगवान कृष्ण का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है, जहां श्री माध्वाचार्य ने लगभग 800 साल पहले कृष्ण की मूर्ति स्थापित की थी। यहां विटल पिंडी उत्सव के दौरान बच्चों द्वारा भगवान कृष्ण के रूप में dress-up किया जाता है और पूजा के बाद प्रसाद वितरण होता है।
महाराष्ट्र (दही हांडी):
महाराष्ट्र में श्री कृष्ण जयंती को दही हांडी के रूप में मनाया जाता है, जिसमें युवा लोग मानव पिरामिड बनाकर मटके को तोड़ते हैं। यह उत्सव भगवान कृष्ण के बचपन की लीलाओं का प्रतीक है।
श्री कृष्ण जयंती पर उपवस का महत्व
श्री कृष्ण जयंती पर उपवस करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रथा है। यह न केवल शारीरिक शुद्धि का प्रतीक है, बल्कि भक्तों के आत्मिक जागरण का भी मार्ग है। उपवस के दौरान भक्तों को मांसाहारी आहार, लहसुन, प्याज और नशे की चीजों से बचने की सलाह दी जाती है। रात में पूजा के बाद व्रत खोला जाता है और प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
FAQs
श्री कृष्ण जयंती 2026 कब है?
श्री कृष्ण जयंती 2026 में 4 सितंबर को मनाई जाएगी।क्यों श्री कृष्ण जयंती मध्यरात्रि को मनाई जाती है?
श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि को हुआ था, इसलिये इस दिन विशेष रूप से मध्यरात्रि पूजा की जाती है।दही हांडी क्या है और यह महाराष्ट्र में क्यों मनाई जाती है?
दही हांडी एक प्रसिद्ध उत्सव है, जिसमें युवा मानव पिरामिड बनाकर मटके को तोड़ते हैं, जो भगवान कृष्ण के बचपन की लीलाओं का प्रतीक है।श्री कृष्ण जयंती पर उपवस कैसे किया जाता है?
भक्त श्री कृष्ण जयंती पर उपवस रखते हैं, जिसमें वे केवल फल, दूध और विशेष व्रत आहार ग्रहण करते हैं और रात को पूजा के बाद अपना उपवस खोलते हैं।
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