Sanwariya Seth Temple: सांवरिया सेठ मंदिर Historic & Divine Shrine of Chittorgarh

0 minutes, 40 seconds Read
5/5 - (1 vote)

Table of Contents

परिचय – Introduction

सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध, चमत्कारिक और श्रद्धा से भरा तीर्थस्थान है। भगवान कृष्ण के सांवले स्वरूप को समर्पित यह मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएँ शीघ्र पूरी होती हैं, इसीलिए सांवरिया सेठ को “धन-संपत्ति के दाता”, “कान्हा के व्यापारी रूप” और “राजस्थान के बैकुंठ विठ्ठल” भी कहा जाता है।

यह मंदिर अपनी अनूठी स्थापना कथा, दिव्य मूर्ति, स्थापत्य कला और अद्भुत भक्ति वातावरण के कारण राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है।


मंदिर का स्थान और पहुंच – Location & How to Reach

सांवरिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ शहर से लगभग 40 किमी दूर स्थित है। मुख्य मंदिर मंडफिया गांव में स्थित है, जबकि आसपास के भादसोड़ा और छापर गांवों में भी सांवरिया सेठ की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं।

कैसे पहुंचे? – How to Reach

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन: चित्तौड़गढ़ जंक्शन (लगभग 40 किमी)
  • नजदीकी हवाई अड्डा: उदयपुर महाराणा प्रताप एयरपोर्ट (लगभग 90–95 किमी)
  • सड़क मार्ग: राजस्थान के किसी भी बड़े शहर से बस/टैक्सी आसानी से उपलब्ध

मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे सुविधाजनक माना जाता है, क्योंकि मार्ग काफी सुगम, चौड़ा और पर्यटन के अनुकूल है।


सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास – History of Sanwariya Seth Temple

सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास अत्यंत रोचक और चमत्कारिक घटनाओं से भरा है। इसकी शुरुआत वर्ष 1840 में एक साधारण ग्वाले भोलाराम गुर्जर से जुड़ी है।

भोलाराम गुर्जर का सपना – The Divine Dream

किवदंती के अनुसार, भोलाराम को एक दिव्य स्वप्न आया, जिसमें भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि तीन दिव्य मूर्तियाँ भूमि के भीतर दबे खजाने की तरह छिपी हुई हैं। सुबह उठकर भोलाराम ने ग्रामीणों के साथ मिलकर उस स्थान की खुदाई की।

तीन दिव्य मूर्तियों की प्राप्ति – Discovery of Three Idols

खुदाई के दौरान तीन अद्भुत, दिव्य और सजीव प्रतीत होने वाली मूर्तियाँ प्राप्त हुईं। इन मूर्तियों के स्वरूप को देखकर गांव के लोग चकित हो गए। मान्यता है कि ये मूर्तियाँ स्वयं कृष्ण के दिव्य स्वरूप का प्रत्यक्ष अवतार थीं।

इन मूर्तियों को तीन अलग-अलग स्थानों पर स्थापित किया गया—

  • मंडफिया
  • भादसोड़ा
  • छापर

इसके बाद समय-समय पर मंदिरों का विस्तार, पुनर्निर्माण और विकास होता रहा।

आज यह धाम राजस्थान के सबसे बड़े कृष्ण धामों में गिना जाता है।


मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएं – Architecture & Features

सांवरिया सेठ मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी, मुगल और प्राचीन मंदिर शिल्पकला का सुंदर मिश्रण है।

  • मंदिर का प्रवेश द्वार सुंदर संगमरमर और जटिल पत्थर की नक्काशी से बना है।
  • विशाल मंदिर परिसर में भक्ति, शांति और दिव्यता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
  • अंदर मुख्य गर्भगृह में सांवरिया सेठ की दिव्य मूर्ति विशेष प्रकाश व्यवस्था में और भी जीवंत प्रतीत होती है।
  • स्तंभ, गुंबद, तोरण द्वार और कलात्मक रूपांकन इसकी शान बढ़ाते हैं।

मंदिर परिसर में बाजार, प्रसाद स्थल, सभा मंडप और दर्शन व्यवस्था अत्यंत सुव्यवस्थित है।


धार्मिक महत्व और त्यौहार – Religious Importance & Festivals

यह धाम भगवान कृष्ण के सांवले स्वरूप “सांवरिया” को समर्पित है। भक्त इसे धन-समृद्धि का दाता भी मानते हैं, इसलिए व्यापारी और कारोबारी विशेष रूप से यहाँ मनौती लेकर आते हैं।

प्रमुख त्यौहार – Major Festivals

  • जन्माष्टमी: मंदिर में हजारों भक्तों की उपस्थिति में भव्य कार्यक्रम होते हैं।
  • गोकुल अष्टमी
  • दीपावली और अन्नकूट
  • श्रद्धालुओं के विशेष भजन संध्या

शाम की विशेष आरती का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है—घंटियों की आवाज, दीपों की रोशनी और भक्ति गीतों का वातावरण मन को दिव्य आनंद से भर देता है।


सांवरिया सेठ मंदिर का चमत्कारिक लोकसंबंध – Miraculous Beliefs & Folk Stories

सांवरिया सेठ के मंदिर से जुड़ी अनेक चमत्कारिक कथाएँ और मान्यताएँ प्रचलित हैं।

  • कहा जाता है कि भोलाराम गुर्जर को प्रभु स्वयं सपने में दर्शन देकर मार्गदर्शन करने आए थे।
  • भक्तों का विश्वास है कि सांवरिया सेठ अपने भक्तों की आर्थिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत समस्याएँ सुनते और उनके संकट दूर करते हैं।
  • कई लोग मंदिर में अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने के बाद “बही खाते” या विशेष दान-पत्र में आभार लिखते हैं।

इन चमत्कारों ने मंदिर की ख्याति को देशभर में फैलाया है।


दर्शन का समय और पर्यटन संभावनाएँ – Darshan Timings & Tourism

मंदिर समय (आम तौर पर):

  • सुबह आरती: लगभग 5:00–6:00 बजे
  • दोपहर आरती: 12:00 बजे
  • शाम की आरती: 7:00–8:00 बजे
    (नोट: त्योहारों के समय बदल सकते हैं।)

पर्यटन संभावनाएँ – Tourism Opportunities

सांवरिया सेठ मंदिर के आसपास अनेक प्रमुख पर्यटन स्थल स्थित हैं—

  • चित्तौड़गढ़ किला (विश्व धरोहर)
  • विजय स्तंभ
  • कीर्ति स्तंभ
  • कालिका माता मंदिर
  • राणा कुंभा महल

भक्त दर्शन के बाद इन सभी स्थलों को भी देख सकते हैं, जिससे उनकी यात्रा और भी समृद्ध हो जाती है।

FAQ-

 

1. सांवरिया सेठ की कहानी क्या है?

सांवरिया सेठ की स्थापना कथा 1840 में शुरू होती है जब भोलाराम गुर्जर नामक ग्वाले को सपने में भगवान कृष्ण ने भूमि के नीचे दबे तीन दिव्य विग्रहों का संकेत दिया। अगले दिन खुदाई में तीन मूर्तियाँ मिलीं, जिन्हें मंडफिया, भादसोड़ा और छापर में स्थापित किया गया। यही आगे चलकर सांवरिया सेठ धाम बना।


2. सांवरिया सेठ का चमत्कार क्या है?

भक्तों का विश्वास है कि सांवरिया सेठ हर प्रकार की आर्थिक, व्यवसायिक और व्यक्तिगत मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। कई भक्त अपनी मनौती पूरी होने पर “बही खाते” में धन्यवाद लिखते हैं। चमत्कार का आधार यही माना जाता है कि सांवरिया सेठ जल्दी प्रसन्न होकर वरदान देते हैं।


3. सांवरिया सेठ की जाति क्या है?

सांवरिया सेठ भगवान कृष्ण का ही दिव्य स्वरूप हैं। इसलिए उनकी कोई जाति नहीं मानी जाती। वे सर्वजन के ईश्वर हैं।


4. कृष्ण को सांवरिया सेठ क्यों कहा जाता है?

कृष्ण का वर्ण सांवला होने के कारण उन्हें “सांवरा” कहा जाता है, और उनकी व्यापारी प्रसन्नता एवं मनोकामना-पूर्ति के कारण उन्हें “सेठ” (दाता) की उपाधि दी गई। इस तरह “सांवरिया सेठ” नाम प्रचलित हुआ।


5. सांवरिया सेठ की मान्यता क्या है?

मान्यता है कि सांवरिया सेठ भक्तों की आर्थिक परेशानियाँ दूर करते हैं, धन लाभ कराते हैं और व्यापार में वृद्धि देते हैं। व्यापारी समुदाय विशेष रूप से इन्हें “धन के दाता” मानता है।


6. सांवरिया सेठ का अर्थ क्या है?

सांवरिया = सांवले रूप वाले कृष्ण
सेठ = दाता या धनी व्यापारी
अर्थ: सांवले कृष्ण जो भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करते हैं।


7. सांवरिया सेठ से मन्नत कैसे मांगें?

भक्त आमतौर पर—

  • मंदिर के सामने मनोकामना कहकर प्रणाम करते हैं

  • वचन देते हैं कि मनौती पूरी होने पर बही खाते में धन्यवाद लिखेंगे

  • आरती और प्रसाद अर्पण करते हैं
    यहां कोई कठोर विधि नहीं—सच्ची भावना ही मुख्य है।


8. सांवरिया सेठ की जीवनी क्या है?

इनकी जीवनी उनके प्रकट होने की कथा से जुड़ी है—1840 में भोलाराम गुर्जर को सपने के बाद भूमि से तीन कृष्ण विग्रह मिले। इन्हें तीन स्थानों पर स्थापित किया गया और समय के साथ यहाँ भव्य धाम विकसित हुआ।


9. सांवलिया सेठ की कथा

कथा यही है कि भगवान कृष्ण ने स्वयं सपने में दर्शन देकर अपने छिपे स्वरूप को प्रकट करवाया। मूर्तियाँ निकालने के बाद चारों ओर चमत्कार होने लगे, जिससे सांवलिया सेठ की ख्याति फैलती गई।


10. सांवरिया सेठ कितने किलोमीटर है?

यदि चित्तौड़गढ़ से दूरी पूछी जाए: लगभग 40 किलोमीटर
उदयपुर से: लगभग 90–95 किलोमीटर
भीलवाड़ा से: लगभग 110 किलोमीटर


11. सांवरिया सेठ मंदिर

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित मंडफिया गांव का प्रसिद्ध कृष्ण धाम, जहाँ सांवरिया सेठ की मुख्य मूर्ति स्थापित है।


12. सांवरिया सेठ मंदिर दर्शन टाइम

सामान्य समय:

  • सुबह आरती: 5:00–6:00 बजे

  • दोपहर आरती: 12:00 बजे

  • शाम आरती: 7:00–8:00 बजे
    (त्योहारों पर समय बदल सकता है।)


13. Sanwariya Seth kahan padta hai?

Sanwariya Seth Mandalfiya, Chittorgarh (Rajasthan) में स्थित है।


14. सांवलिया सेठ का इतिहास (Wikipedia आधारित सार)

1840 में भोलाराम गुर्जर को स्वप्न आने के बाद तीन दिव्य मूर्तियों की खोज हुई। इन्हें मंडफिया, भादसोड़ा और छापर में स्थापित किया गया। बाद में मंदिरों का विस्तार हुआ और धाम राजस्थान का प्रमुख कृष्ण तीर्थ बना।


15. सांवरिया सेठ मंत्र

प्रचलित मंत्र:
“ॐ नमो सांवलिया सेठाय नमः”
भक्ति के लिए यह सरल और लोकप्रिय मंत्र माना जाता है।


16. Sanvariya Seth ka naam

इनका नाम “सांवरिया” उनके सांवले स्वरूप और “सेठ” उनके दानी स्वरूप को दर्शाता है—इसलिए “सांवरिया सेठ।”

और ये भी पढ़े – Rani Talab Jind

Similar Posts