🕉️ शनिदेव जी की आरती (Shani Dev Ki Aarti) – पूर्ण जानकारी
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। इसलिए लोग शनिवार को विशेष रूप से उनकी आरती करते हैं। इसके अलावा, ऐसा विश्वास है कि आरती से जीवन के कष्ट कम होते हैं और सुख-सौभाग्य बढ़ता है। साथ ही, यह मानसिक शांति भी प्रदान करती है।
शनिदेव आरती का महत्व (Importance of Shani Dev Aarti)
सबसे पहले, शनिदेव की आरती नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त, यह शनि दोष और साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने में सहायक मानी जाती है। अंत में, भक्तों का विश्वास है कि आरती करने से बाधाएँ दूर होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है।
Shani Dev Ki Aarti Image

शनिदेव जी की आरती (Shani Dev Ki Aarti) — पूर्ण पाठ
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा,
जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा,
जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।।
सूर्यपुत्र प्रभु छाया महतार,
जय जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा,
जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा।।
श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी,
चतुर्भुजा धारी।
श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी।।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी,
गज की असवारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी।।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा,
जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा।।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी,
दिपत है लिलारी।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी,
शोभित बलिहारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा,
जय जय श्री शनिदेव,
भक्तन हितकारी।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा।।
मोदक और मिष्ठान चढ़ें, चढ़ती पान चढ़त सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी हैं अति प्यारी।।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी,
विश्वनाथ धरत ध्यान,
हम हैं शरण तुम्हारी।।
जय जय जय जय जय जय शनिदेवा,
जय जय शनिदेवा।।
शनिदेव की आरती कब करनी चाहिए?
सही समय
- शनिवार की शाम, विशेष रूप से सूर्यास्त के बाद
- अमावस्या या शनि जयंती
- दैनिक सुबह भी कर सकते हैं
आवश्यक सामग्री
इसके लिए आपको सरसों का तेल, काली उड़द, तिल, कपूर, और नीले फूल की आवश्यकता होती है। इसके साथ शनि यंत्र या शनिदेव की तस्वीर अवश्य रखें।
Shani Dev Ki Aarti PDF Download (PDF Version)
—
शनिदेव की आरती कैसे करें?
सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा के सामने सरसों का दीपक जलाएँ। फिर शनि मंत्र या शनि आरती का पाठ करें। अंत में गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें— यह शनिदेव की विशेष कृपा पाने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता है।
शनिदेव आरती करने के लाभ
- सबसे पहले, यह मन की शांति प्रदान करती है।
- इसके अलावा, शनि ग्रह से जुड़े कष्ट कम होते हैं।
- साथ ही, नौकरी और व्यवसाय में प्रगति प्राप्त होती है।
- अंततः, जीवन में स्थिरता और सुरक्षा बढ़ती है।
पूजा में सावधानियाँ
हालाँकि आरती करना सरल है, फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए, शनिवार को किसी का अपमान न करें। इसके अतिरिक्त, बिना कारण क्रोध या वाद-विवाद से बचें। अंत में, तेल दान करना शुभ माना जाता है।
FAQ
Q1. शनिदेव की आरती कब करनी चाहिए?
आरती शनिवार की शाम करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसके अलावा, रोज़ सुबह भी की जा सकती है।
Q2. क्या महिलाएँ शनिदेव की आरती कर सकती हैं?
बिल्कुल कर सकती हैं। कोई प्रतिबंध नहीं है।
Q3. शनि दोष कम करने का सरल उपाय क्या है?
नियमित आरती, शनि मंत्र और दान सबसे प्रभावी उपाय माने जाते हैं।